शक्ति का बिखराव!
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एक बार कबूतरों का झुण्ड, बहेलिया के बनाये जाल में फंस गया सारे कबूतरों ने मिलकर फैसला किया और जाल सहित उड़ गये ! 
“एकता की शक्ति” की ये कहानी आपने यहाँ तक पढ़ी है इसके आगे क्या हुआ वो आज प्रस्तुत हैं !
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बहेलिया उड़ रहे जाल के पीछे पीछे भाग रहा था ! एक सज्जन मिले और पूछा क्यों बहेलिये तुझे पता नही की “एकता में शक्ति” होती है तो फिर क्यों अब पीछा कर रहा है ?
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बहेलिया बोला “आप को शायद पता नही की शक्तियों का दंभ खतरनाक होता है जहां जितनी ज्यादा शक्ति होती है उसके बिखरने के अवसर भी उतने ज्यादा होते है” !
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सज्जन कुछ समझे नही ! बहेलिया बोला आप भी मेरे साथ आइये !
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सज्जन भी उसके साथ हो लिए !
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उड़ते उड़ते कबूतरों ने उतरने के बारे में सोचा !
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एक नौजवान कबूतर, जिसकी कोई राजनीतिक विचारधारा नहीं थी, ने कहा किसी खेत में उतरा जाये !  वहां इस जाल को कटवाएँगे और दाने भी खायेंगे !
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एक समाजवादी टाइप के कबूतर ने तुरंत विरोध किया की गरीब किसानो का हक़ हमने बहुत मारा
अब और नही !!
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एक दलित कबूतर ने कहा, जहाँ भी उतरे पहले मुझे दाना देना और जाल से पहले मैं निकलूंगा क्योकि ये मेरा संवैधानिक हक है !
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दल के सबसे बुजुर्ग कबूतर ने कहा,
मै सबसे बड़ा हूँ और इस जाल को उड़ाने का प्लान और नेतृत्व मेरा था अत: मेरी बात सबको माननी पड़ेगी !
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एक धार्मिक कबूतर ने कहा
किसी मंदिर पर उतरा जाए !
बन्शीवाले भगवन की कृपा से खाने को भी मिलेगा और जाल भी कट जायेंगे ।
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अंत में सभी कबूतर एक दुसरे को धमकी देने लगे कि मैंने उड़ना बंद किया तो कोई नहीं उड़ पायेगा क्योकि सिर्फ मेरे दम पर ही ये जाल उड़ रहा है ! और सभी ने धीरे धीरे करके उड़ना बंद कर दिया !
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परिणाम क्या हुआ कि अंत में वो सभी धरती पर आ गये और बहेलिया ने आकर उनको जाल सहित पकड़ लिया !!
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सज्जन गहरी सोच में पड गए l
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बहेलिया बोला क्या सोच रहे है महाराज !!
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सज्जन बोले “मै ये सोच रहा हूँ की ऐसी ही गलती तो हम सब भी इस समाज में रहते हुए कर रहे है !